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Best akbar birbal stories | अकबर बीरबल स्टोरीज | अकबर-बीरबल के चुटकुले व कहानियाँ 2

Best akbar birbal stories | अकबर बीरबल स्टोरीज | अकबर-बीरबल स्टोरीज के चुटकुले व कहानियाँ 2
Best akbar birbal stories

Akbar birbal stories | अकबर-बीरबल स्टोरीज | अकबर-बीरबल के चुटकुले व कहानियाँ 2

मिलना अकबर – बीरवल का

एक बार अकबर बादशाह युद्ध के बाद दिल्ली की तरफ वापस आ रहे थे। रास्ते में उन्हें इलाहाबाद में गंगा किनारे पर पड़ाव डालना पड़ा। अकबर ने अपने एक दूत को वहाँ के राजा के पास भेजा। साथ में अकबर ने दूत के हाथ पत्र भी दिया, जिसे दूत ने राजा को दे दिया। Best akbar birbal stories

पत्र में अकबर ने राजा से मिलने की इच्छा व्यक्त की थी, झूसी का राजा अकबर के पत्र को पढ़कर चिंतित हो गया उसने समझा कि उसके छोटे से राज्य पर अकबर बादशाह कब्जा करना चाहते हैं। राजा ने तुरंत बीरबल को बुलाया और स्थिति से अवगत कराया। बीरबल अकबर के पत्र का आशय समझ चुका था। उसने कहा- “महाराज ऐसी बात नहीं है। अकबर की इच्छा आपके राज्य पर अधिकार करने की नहीं है। “फिर क्या है ?” Best akbar birbal stories

“आप चिंतित न हों महाराज, बादशाह अकबर की जो भी इच्छा है मैं उसका शीघ्र ही पता लगा लूँगा। आप मेरे साथ चलने की तैयारी करें।” बीरबल दरबार से निकलकर मछेरों की बस्ती में पहुँचा। वहाँ पहुँचकर उसने नाव में ईट, पत्थर, चूना लदवाया तथा कुछ राज मिस्त्रियों को गंगा पार चलने का आदेश दिया। अकबर बीरबल स्टोरीज

बीरबल अपना काम पूरा करके लौटा और राजा से कहा- “महाराज हम दो – तीन घंटे बाद चलेंगे।” राजा बोला- “यदि हम लोगों को वहाँ पहुँचने में देर हो तो बादशाह का कहर हम पर टूट सकता है।” “आप बेफिक्र रहें महाराज। मैं सब संभाल लूंगा। अकबर बीरबल स्टोरीज

शाम के वक्त राजा और बीरबल बादशाह के पास पहुंचे और उन्हें सलाम बजाया। अकबर उन्हें सम्मान के साथ खेमे में ले गया। राजा ने डरते – डरते हाथ जोड़कर कहा- “जहांपनाह ने मुझ जैसे तुच्छ व्यक्ति को कैसे याद किया ? “हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है। हमने तो तुम्हें केवल मुलाकात के लिए बुलाया था। मगर तुमने आने से पहले ये ईट, पत्थर, चूना आदि क्यों भिजवाया ?” राजा ने कहा- “महाराज, इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। Best akbar birbal stories

सच तो यह है कि ये सब मेरे मंत्री ने अपनी समझ से किया है।” अकबर बीरबल की ओर मुखातिब हुए। बीरबल ने हाथ जोड़कर कहा- “महाराज, आपने हमारे महाराज को इसी उद्देश्य के लिए तो बुलाया था। आपकी इच्छा नदी के किनारे पर एक विशाल महल बनाने की थी न ?” “हाँ, ये सही है। अकबर बीरबल की बुद्धिमानी पर प्रसन्न हो उठे। उन्होंने तभी से बीरबल को अपने साथ रखने का फैसला कर लिया। इसके बाद इलाहाबाद में विशाल किला बादशाह अकबर ने बनवाया।

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मुंह पीछे बुराई

बीरबल से जलने वाले बहुत थे। एक बार किसी ईष्यालु ने चौराहे पर एक कागज चिपका दिया। उसमें शुरू से आखिर तक बीरबल को कोसा गया था। उस पर हर आने – जाने वाले की नजर पड़ती थी। बीरबल को जब इस बात का पता चला तो वह कुछ आदमियों को लेकर वहाँ पहुँच गया। उसने देखा कि वह कागज ऊँचाई पर था, जिससे पढ़ने में दिक्कत होती थी। उसने कागज उतरवाकर थोड़ा नीचे चिपकवा दिया।

वहाँ पर काफी भीड़ एकत्रित थी। बीरबल ने उन सबसे मुखातिब होते हुए कहा- “यह कागज हम लोगों के मध्यस्थ और भविष्य का इकरारनामा है। यह ऊंचाई पर था, इसलिए मैंने इसको नीचे चिपकवा दिया है ताकि सब लोग आसानी से पढ़ सकें। मैं अपने विपक्षियों को सूचना देता हूँ कि मेरे साथ अपनी मनमानी करें, मैं भी उनके साथ अपनी इच्छा से बैर लूंगा।”

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मित्रता कैसे टूटे ?

बादशाह अकबर के पुत्र शहजादा सलीम तथा दिल्ली के एक व्यापारी के पुत्र की आपस में गहरी मित्रता हो गई थी। वे दोनों अक्सर सारा – सारा दिन साथ ही बिताते थे। जिस कारण दोनों के ही पिता परेशान थे। व्यापारी के पुत्र ने मित्रता के कारण व्यापार में ध्यान देना छोड़ दिया था तथा शहजादा सलीम भी राज – काज की तरफ ध्यान नहीं देता था। एक दिन दरबार में बादशाह अकबर तथा वह व्यापारी दोनों की मित्रता से होने वाली परेशानियों का जिक्र कर रहे थे कि वहाँ बीरबल भी आ पहुँचे। Best akbar birbal stories

बीरबल को देखकर बादशाह अकबर बोले- “बीरबल, अब तुम ही इन दोनों की दोस्ती को तोड़ सकते हो।” “हुजूर, वैसे तो किसी की दोस्ती में खलल नहीं डालना चाहिए। पर यह बात मैं जानता हूँ कि इन दोनों की दोस्ती का जुनून काफी बढ़ गया है और इसे रोकना जरूरी है। हुजूर, आप कल दोनों को दरबार में उपस्थित होने का निर्देश दें।” Best akbar birbal stories

बादशाह अकबर ने वैसा ही किया और अगले दिन दरबार में दोनों मित्र उपस्थित थे। कुछ देर तक दरबारी कार्यवाही चलती रही। फिर अचानक बीरबल उठा और व्यापारी पुत्र के कान में धीरे से कुछ कहा, जो उसकी समझ में नहीं आया। वास्तव में बीरबल ने उसके कान में कुछ कहा ही नहीं, केवल कान के पास मुंह ले जाकर फुसफुसाया था।

इसके बाद बीरबल ने कुछ ऊंची आवाज में चेतावनी देते हुए व्यापारी पुत्र से कहा- “मैंने जो बात तुमसे कही है, उसे राज ही रखना, किसी से भी नहीं कहना। “यह बात बीरबल ने इतनी जोर से कही थी कि शहजादा। सलीम भी सुन ले। दरबार समाप्त होने के बाद सलीम ने जब मित्र से पूछा- “मित्र, बीरबल ने तुम्हारे कान में क्या कहा था।

अब बीरबल ने उसके कान में कुछ कहा होता तो वह बताता मित्र। सलीम से बहुत कहा कि बीरबल ने उसे कुछ नहीं बताया किन्तु उसे विश्वास नहीं हुआ। सलीम को लगा कि वह बात राज रखने के कारण ही उसे नहीं बता रहा। इसी को लेकर दोनों में मन – मुटाव हो गया और मित्रता भी खत्म हो गई और दोनों अपने – अपने काम में ध्यान देने लगे। हमेशा की तरह बादशाह अकबर इस बार भी बीरबल की चतुराई की प्रशंसा किए बगैर न रह सके।

अकबर-बीरबल स्टोरीज के चुटकुले व कहानियाँ 2

अकबर का सवाल

दरबार में एक दिन बीरबल उपस्थित नहीं था, इसलिए कई दरबारी बीरबल की बुराई करने लगे। उनमें से चार दरबारी जो बीरबल के खिलाफ कुछ अधिक ही जहर उगल रहे थे, जसे बादशाह अकबर ने एक सवाल पूछा- “इस संसार में सबसे बड़ी चीज क्या है ?” उन चारों की बोलती बंद हो गई, तब अकबर ने उन्हें सीधा करने के उद्देश्य से फिर कहा- “तुम चारों तो बहुत समझदार हो, जल्दी बताओ, वरना चारों को फांसी की सजा दे दूंगा। Best akbar birbal stories

“फांसी की बात सुनकर उनके चेहरों पर हवाइयाँ उड़ने लगी। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या जबाव दें। कोई खुदा को सबसे बड़ा बताता है तो एक ने बादशाह अकबर की सल्तनत को बड़ा बताया। बादशाह अकबर ने जब उन्हें पुनः डांटा तो वे चुप हो गए और सोचने लगे। कुछ सोचकर उनमें से एक बादशाह से जवाब के लिए कुछ दिन का समय माँगा। बादशाह अकबर ने उन्हें तीन दिन का समय दे दिया और कहा कि तीन दिन बाद भी उन्हें यदि उत्तर न मिला तो उनकी मौत निश्चित है। Best akbar birbal stories

अन्ततः उन चारों को उत्तर के लिए बीरबल की शरण में ही जाना पड़ा। बीरबल ने उन चारों से कहा- “मैं तुम्हें बादशाह के गुस्से से बचा लूंगा और उनके सवाल का जवाब दे दूंगा …. किन्तु मेरी शर्त है।” “हमें सारी शर्ते मंजूर हैं।” “ठीक है, तुम चारों में से दो लोग मेरी चारपाई को कंधा दो और एक मेरा हुक्का पकड़े और दूसरा मेरे जूते, इस तरह बादशाह के दरबार तक ले जाया जाए। Best akbar birbal stories

” बीरबल ने कहा। उन चारों के सिर पर मौत मंडरा रही थी, अत: उन्होंने तुरन्त यह शर्त मान ली। बीरबल चारपाई पर बैठ गया, दो जनों ने उसकी चारपाई उठा ली, एक ने हुक्का पकड़ा और दूसरा उसके जूते लेकर चल दिया। इस तरह वे सभी दरबार में पहुंच गए ।

बीरबल को इस तरह दरबार में आता देखकर बादशाह अकबर ने पूछा- “बीरबल, यह क्या माजरा है ?” “जहांपनाह, मुझे लगता है आपको आपके सवाल का जवाब मिल गया होगा। इस संसार में सबसे बड़ी चीज जरूरत ( गर्ज ) है जिसके लिए इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाता है, उदहारण आपके सामने मौजूद हैं” बादशाह अकबर ने उन चारों की ओर देखा जो मुँह लटकाकर खड़े थे। वे चारों भी यह समझ गए थे कि यही उनकी गुस्ताखी की सजा है, जो उन्हें बादशाह अकबर ने अलग ही अंदाज में दी है। Best akbar birbal stories

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लेटने की आदत

बीरबल दोपहर को खाना खाने के बाद कुछ देर लेटकर आराम करता था। यह उसकी आदत में शुमार था और बादशाह अकबर भी इस बात को जानते थे। एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से खाने के बाद लेटने का कारण भी पूछा था। बीरबल ने उन्हें बताया कि उसने अपने बुजुर्गो से सुन रखा है। “खाकर लेट जा और मार कर भाग जा, ऐसा करने वाला सदैव मुसीबतों से बचा रहता है। Best akbar birbal stories

एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल को दोपहर के भोजन के तुरन्त बाद दरबार में बुलवा लिया। वे देखना चाहते थे कि बीरबल ऐसी स्थिति में भी लेटेगा या उनकी आज्ञा का पालन करेगा। सेवक ने बीरबल के पास जाकर बादशाह का हुक्म सुना दिया। बीरबल उस समय भोजन कर रहा थाq। उसने सेवक से कहा- “हुजूर से कहो कि मैं कुछ ही देर में उनकी सेवा में उपस्थित हो जाऊँगा।” Best akbar birbal stories

सेवक चला गया और बादशाह को बीरबल का संदेश सुना दिया। कुछ देर तक जब बीरबल नहीं आया तो अकबर को लगा कि बीरबल लेटने चला गया होगा, अतः उन्होंने पुनः सेवक को बीरबल के पास भेजा। सेवक जब बीरबल के पास पहुंचा तो उसने देखा कि वह एक बहुत ही चुस्त पाजामा लेटकर पहन रहा है। सेवक को देखकर बीरबल ने कहा- “तुम इन्तजार करो, मैं तुम्हारे साथ ही चलूंगा। “कुछ देर में बीरबल ने पाजामा पहन लिया और सेवक के साथ दरबार की ओर चल दिया। Akbar Birbal Short Stories In hindi

दरबार में बादशाह अकबर गुस्से में बैठे थे, बीरबल को देखकर बोले- “मैंने तुम्हें खाने के बाद तुरन्त दरबार में उपस्थित होने का आदेश दिया था, किन्तु तुमने मेरे आदेश की अवहेलना की और लेटने चले गए।” “हुजूर मैंने आपके आदेश की अवहेलना नहीं की। Best akbar birbal stories

मुझे तो यह चुस्त पाजामा पहनने में देर हो गई। इसे पहनने के लिए ही मुझे लेटना पड़ा, आप चाहें तो अपने सेवक से पूछ सकते हैं, जब यह मुझे बुलाने गया तो मैं लेटकर यह पाजामा ही पहन रहा था। ” बीरबल ने कहा। सेवक ने भी बीरबल की बात की पुष्टि की। बादशाह अकबर समझ गए कि बीरबल ने बड़ी चतुराई से उनके आदेश का भी पालन किया और खाने के बाद कुछ देर लेट भी लिया। Best akbar birbal stories 

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